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लालू का इस्तीफा लेने देने का चुनावी नाटक

नवम्बर 2, 2008

लालू यादव और कांग्रेस सरकार ने राज ठाकरे के साथ मिलकर जो चुनावी नाटक खेला है वो अब क्लाइमेक्स पर पहुंचता जा रहा है. अब लालू सारे बिहार के राजनीतिक दलों से इस्तीफा देने के लिये कह रहे हैं ये साफ साफ अपना प्रभुत्व कायम करने की चाल है. लालू का सारा नाटक सिर्फ बिहार में आने वाले लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल करने के लिये था, यह एकदम स्पष्ट हो गया है.

महाराष्ट्र में कांग्रेसी सरकार है और राजठाकरे का नाटक कांग्रेस के साथ मिलकर खेला जा रहा है. लंगड़ी कांग्रेसी सरकार लालू और मुलायम के हत्था टिकाने पर ही सरक रही है और लालू द्वारा कभी भी अपना हत्था सरकाने पर ये सरकार ओंधा कर भरभरा जायेगी. क्या महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी युति लालू की सहमति के बिना ये काम कर सकती हैं?

कानून व्यवस्था बनाना और बनाये रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है इसके लिये कांग्रेस-एनसीपी युति की जिम्मेदारी है. लालू और मुलायम की पार्टी इनकी सहयोगी है. टीवी पर चीख पुकारने की नौटंकी करने वाले लालू ने कांग्रेस-एनसीपी युति के खिलाफ क्या किया? सिर्फ अपने घड़ियाली आंसू बहाये, बड़े बड़े नारे लगाये और …

समझो यूपी बिहार वालो, लालू का ये खेल समझो, न समझोगे तो पीछे पछताने के लिये भी कुछ नहीं बचेगा
ये राजनीति नहीं राज-अनीति है, लालू इसमें सिद्दहस्त है.

बिहार की बदहाली के लिये जो जिम्मेदार हैं वही आज मसीहा बन बैठे हैं
हमें अपना भविष्य खुद बनाना होगा, वरना ये गिद्द हमें जिन्दा ही नौंच नौंच कर खा जायेंगे. लालू के खेल को समझो

हरिवंश जी ने बिहार, झारखंड यानी हिंदीपट्टी के छात्रों से जो ईमानदार गुज़ारि की है उस पर ध्यान दो

वरना हम एसे ही गालियां खाते रहेंगे, पिटते रहेंगे.

राज ठाकरे के कांड का असली सूत्रधार लालू यादव है?

नवम्बर 2, 2008

जरा सोचिये कि राज ठाकरे और बिहारी के झगड़े में किसको क्या मिला?
इस झगड़े में जो दो राजनैतिक पार्टियों ने सबसे ज्यादा कमाई की है वो हैं कांग्रेस और लालू यादव की जेबी पार्टी.  राज ठाकरे के पास न तो पहले कुछ था न इस मामले के बाद कुछ हाथ लगने की आशंका है.

महाराष्ट्र में पिछले चुनावों में कांग्रेस और राज ठाकरे पाताल में धसंक गये थे हर जगह बाला साहब ठाकरे की पार्टी ने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की थी.  उद्वव ने पिछले साल मी मुम्बईकर करके एक मुहीम चलायी इसके अनुसार जो मुम्बई में है वह मुम्बईकर है.  इस मुहीम को हर वर्ग का समर्थन मिला. यहां तक कि जावेद अख्तर तक ने मी मुम्बईकर कहा. याद होंगे इस मुहीम के विडियो आपको, जैसे विवेक आबरॉय और रितिक रौशन की एड फिल्में.  वो मुहीम आपस में जोड़ने वाली थी.

समय और गुजरने के साथ कांग्रेस और भी पिछे हो गई थी,  एनसीपी की   घड़ी ने भी टिक्टिकाना बन्द कर दिया था.  यही हाल लालू का बिहार में था.  बिहार की गद्दी लालू के परिवार के हाथ से निकल गई थी और वहां नितीश कुमार आ गये थे.  समय के साथ नितीश कुमार की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी.  नितीश के काम के साथ बिहार विकास के रास्ते पर दस्तक देने लगा था.  यदि यही हाल रहते तो लालू की आने वाले लोकसभा चुनाव में कोई पानी भी देने वाला न मिलता. (more…)